IMPORTANCE OF 2 HOUSE
धन की स्थिति
स्थिति में द्वितीय स्थान से धनस्थिति की जानकारी मिलती हैं।
फिर भी –
1 House लग्न ( काबिलीयत )
3 House तृतीय ( पराक्रम )
6 House षष्ठ ( सफलता अथवा प्रतिस्पर्धी या जिसके साथ कारोबार हो , उसका व्यय स्थान )
10 House दशम ( नाम , मशहूरी और कर्मस्थान )
11 House एकादश ( सफलता स्थान )
अर्थात धन कमाने के लिए काबिलियत , पराक्रम , सफलता , कर्म , कर्तव्य और लाभ हानि आदि बातें भी बेहद जरूरी हैं ।
इन सभी छह भावों के SL उपनक्षत्र स्वामी अगर उन्हीं छ : भावों में स्थित ग्रहो के नक्षत्र में हो , तो ऐसा इन्सान वेहद अमीर होता हैं , करोडपति माना जाता हैं ।
धनस्थान का SL उपनक्षत्र स्वामी 1 लग्न और 3 तृतीय भाव का कार्येश हो , तब धनस्थिति ठीक ठाक होती हैं , मेंहनत से पैसा कमाया जाता हैं ।
धनस्थान का SL उपनक्षत्र स्वामी 2 द्वितीय और 10 दशम भाव का कार्येश हो , तो धनस्थिति अच्छी होती हैं सम्मान से जीते हैं
धनस्थान का SL उपनक्षत्र स्वामी 6 पष्ठ और 11 लाभ स्थान का कार्येश हो , तो धनस्थिति वेहद अच्छी होती हैं , अमीर होते हैं ।
इस प्रकार साधारण फल हैं ।
धन के मामले में 5 House पंचम , 8 House अष्टम और 12 House द्वादश स्थान अशुभ होते हैं ।
बुरी आदतें , ऐष . आदि 5 House पंचम से देखा जाता है ।
8 House अष्टम चोरी , पछतावा तथा अघोरी छुपे कारोवार का स्थान होता हैं और 12 House व्यय स्थान कई वार वेकार के खर्च का निर्देश देता है ।
अतः धन स्थान का SL उपनक्षत्र स्वामी 5 पंचम , 8 अष्टम अथवा 12 व्यय स्थान का जितना सवल कार्येश हो , उतने ही अधिक खर्च होते हैं ।